इंदौर । देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में सरकारी खजाने का दुरुपयोग किस कदर हो रहा है, इसका उदाहरण विश्वविद्यालय के आईएमएस विभाग में लगा जनरेटर बयां करता है। दरअसल, विश्वविद्यालय के आईएमएस विभाग में यह जनरेटर करीब 8 साल पहले खरीदा गया था, लेकिन तब से लेकर आज तक इसका उपयोग नहीं किया है और यह धूल खा रहा है। संसाधनों के प्रति विश्वविद्यालय प्रशासन इस कदर लापरवाह है कि उसे होश ही नहीं है कि विवि के एक विभाग में जनरेटर भी है, क्योंकि परीक्षाओं के दौरान कई बार लाइट चली जाती है, तो स्टूडेंट्स को अंधेरे में ही परीक्षा देनी पड़ती है। अगर जनरेटर का उपयोग किया जाए, तो उससे स्टूडेंट्स की परेशानी दूर हो सकती है। परीक्षा के दौरान गई लाइट, छूट गए सवाल छात्रा प्रियंका ने बताया कि एक पेपर के दौरान लाइट चली गई और करीब 15 मिनट तक लाइट नहीं आई, हालांकि खिड़की से रोशनी आ रही थी, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी, ऐसे में उनके कुछ सवाल छूट गए और जब रिजल्ट आया, तो उस विषय में उनके कम नंबर आए हैं। इसी तरह लाइट जाने की वजह से नेहा भी कुछ सवालों के जवाब नहीं दे पाई थीं और उनकी उस विषय में एटीकेटी आई है। कई बार उठाया मुद्दा, प्रशासन रहा चुप यूथ कांग्रेस के विश्वविद्यालय प्रभारी अभिजीत पांडे ने बताया कि आईएमएस विभाग में लगे जनरेटर को लेकर कई बार उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने यह मुद्दा उठाया, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। अभिजीत ने बताया कि इस बारे में प्रशासन को एक लिखित में शिकायत भी की गई थी, लेकिन विवि प्रशासन ने आज तक उस शिकायत का कोई जवाब नहीं दिया है।
एक लाख रुपए से ज्यादा का खरीदा था जनरेटर
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि करीब 8 साल पहले इस जनरेटर को एक लाख रुपए में खरीदा गया था। उन्होंने बताया कि जनरेटर का आज तक बिल्कुल भी प्रयोग नहीं किया गया है। अधिकारी के अनुसार, कई बार विवि प्रशासन से इस बारे में कहा भी गया, लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और जनरेटर आज भी जस का तस पड़ा धूल खा रहा है। अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय में कोई भी छोटा कार्यक्रम होता है, तो उसके लिए बाहर से जनरेटर मंगाते हैं, जबकि आईएमएस के जनरेटर का उपयोग किया जाए, तो वह पैसा बचाया जा सकता है।